Ashutosh Sharma:-आपने सुना ही होगा कि किस्मत और अवसर जब एक साथ दरवाजा खटखटाते हैं, तो बात सोने पे सुहागा हो जाती है। दुनिया में बहुत कम लोग होते हैं जिन्हें अपने जुनून को जीने का मौका मिलता है। कुछ को अवसर नहीं मिलता, तो कुछ की किस्मत साथ नहीं देती। वहीं, कई बार हम यह भी सुनते हैं कि जब किस्मत मौका दे, तो उसका फायदा उठाना चाहिए, क्योंकि यह मौका हर किसी को नहीं मिलता।
ऐसा ही कुछ फायदा उठा रहे है आशुतोष शर्मा जिन्होंने आपीएल में लखनऊ के खिलाफ खेले गए मैच में शानदार 31 गेंदों में 66 रन बनाया और दिल्ली कैपिटल को हारा हुआ मैच जीता दिया। आशुतोष शर्मा ने आईपीएल 2024 में पंजाब की तरफ से भी खेलते हुए ताबड़तोड़ बल्लेबाजी ने सभी को प्रभावित किया था। आज के इस आर्टिकल में जानेंगे आशुतोष शर्मा के बारे में।

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रतलाम से क्रिकेट के मैदान तक: Ashutosh Sharma का शुरुआती जीवन
आशुतोष शर्मा का पूरा नाम आशुतोष रामबाबू शर्मा है। उनका जन्म 15 सितंबर 1998 को मध्य प्रदेश के रतलाम में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम राम बाबू शर्मा है, जो एक निजी कंपनी में काम करते हैं। आशुतोष को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। उन्होंने बहुत कम उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था, और यही वजह थी कि उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई रतलाम में ही की।
Ashutosh Sharma का बचपन और संघर्ष
आशुतोष के जीवन में कई मुश्किलें आईं। 10 साल की उम्र में, वह अपने लिए खुद खाना बनाते थे और अपने कपड़े भी खुद धोते थे। कई बार तो ऐसा होता था कि आशुतोष के पास पैसे नहीं होते थे, तो वह अंपायरिंग करके पैसे कमाते थे, जिससे उन्हें एक वक्त का खाना मिल पाता था।
इसके अलावा, एक और बात है जो आशुतोष शर्मा को लेकर सामने आई और काफी चर्चा में रही। दरअसल, उनके राज्य की टीम के कोच ने उन्हें टीम में शामिल नहीं किया, क्योंकि उन्हें वह पसंद नहीं थे। मध्य प्रदेश के कोच, जिनकी घरेलू क्रिकेट में काफी तारीफ होती है, और जो केकेआर के साथ भी जुड़े हुए हैं, उन्हें एक सख्त कोच माना जाता है। ऐसा कहा जाता है उनकी वजह से भी आशुतोष शर्मा को कई बार मौके नहीं मिल पाए थे ।

Ashutosh Sharma का क्रिकेट करियर
आशुतोष ने पूर्व भारतीय खिलाड़ी अमय खुरासिया के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग ली। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी के साथ-साथ गेंदबाजी पर भी ध्यान दिया। अपनी मेहनत और लगन के कारण, 2017-18 में उन्हें सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला, जिसमें उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। आशुतोष के लिए सबसे अच्छी बात यह रही कि सैयद ट्रॉफी में उनकी टीम फाइनल तक पहुंची, जिसके बाद उनके लिए एक-एक करके सारे दरवाजे खुलते चले गए।
अपने शानदार प्रदर्शन के कारण, 2019-20 में उन्हें लिस्ट ए क्रिकेट में खेलने का भी मौका मिला। इसके बाद, अगले ही सीजन में मध्य प्रदेश के लिए अपने आखिरी टी20 मैच में उन्होंने 84 रन बनाए। 2020 में अंडर-23 में उन्होंने दो शतक भी लगाए, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कई बार टीम से अंदर-बाहर किया गया, जिससे वह काफी परेशान हो गए।
Ashutosh Sharma रेलवे का साथ और एक नया मोड़
परेशान होकर उन्होंने रेलवे का रुख किया। रेलवे के चयनकर्ताओं और कोच ने आशुतोष पर भरोसा जताया और उनकी काफी मदद भी की। इस दौरान, सीके नायडू ट्रॉफी में आशुतोष का प्रदर्शन बहुत शानदार रहा। रेलवे के मध्यक्रम के बल्लेबाज के तौर पर आशुतोष टी20 में सबसे तेज अर्धशतक लगाने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज भी बन गए। उन्होंने पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह का 16 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया।
दरअसल, युवराज ने टी20 वर्ल्ड कप 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ 12 गेंदों में अर्धशतक बनाया था। वहीं, आशुतोष शर्मा ने 11 गेंदों में सबसे तेज अर्धशतक लगाकर पहले भारतीय बल्लेबाज बनने का गौरव हासिल किया। उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी टी20 टूर्नामेंट के दौरान रांची में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ ग्रुप सी मुकाबले में यह उपलब्धि हासिल की। अपने शानदार प्रदर्शन के कारण, उन्हें आईपीएल में भी जगह मिली, और आईपीएल में वह कैसा प्रदर्शन कर रहे हैं, यह हम सभी देख रहे हैं।

Ashutosh Sharma मुश्किलों से मिली प्रेरणा
गुजरात के खिलाफ पंजाब की जीत के बाद एक इंटरव्यू में आशुतोष ने कहा कि 2019 में उन्होंने मध्य प्रदेश के लिए अपने आखिरी टी20 मैच में 84 रन बनाए थे। उसी साल, एक कोच आया और उसने मुझे पसंद नहीं किया। ट्रायल में भी मैंने 40 से 50 गेंदों में 90 रन बनाए, लेकिन शाम को जब सैयद मुश्ताक अली टी20 टीम की घोषणा हुई, तो मेरा नाम नहीं था। मैं उस समय बहुत निराश हो गया था। हालांकि, मैंने उस साल बहुत शानदार प्रदर्शन किया था। मैंने अंडर-23 भी खेला था, और मैंने चार मैचों में 200 रन भी बनाए थे।
लेकिन कहते हैं ना, जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। कई बार हमें जो चीज चाहिए होती है, वह नहीं मिलती, तो हम निराश हो जाते हैं। लेकिन हमें भगवान पर भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि वह जानते हैं कि हम क्या पाने के हकदार हैं। हो सकता है कि हम उससे भी बेहतर चीज पाने के हकदार हों।

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