2009 में जिसकी वैल्यू लगभग शून्य थी, वही बिटकॉइन आज ₹1.08 करोड़ के पार पहुँच चुका है। 

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बिटकॉइन बनाने वाले का नाम सामने आया – सतोशी नाकामोतो। लेकिन असली पहचान आज तक रहस्य बनी हुई है। 

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2010 में 10,000 बिटकॉइन देकर दो पिज्जा खरीदे गए। आज इनकी कीमत 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा होती।

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2008 में जब बैंकों और सरकारों पर भरोसा डगमगाया, तभी एक नई करेंसी का आइडिया सामने आया – बिटकॉइन।

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3 जनवरी 2009 को पहला "जेनिसिस ब्लॉक" माइन हुआ। यहीं से शुरू हुई दुनिया की पहली क्रिप्टोकरेंसी।

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22 मई 2010 को  अमेरिका के लास्जलो ने 10,000 बिटकॉइन देकर पिज्जा खरीदा। यही था पहला रियल-ट्रांजैक्शन।

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बिटकॉइन क्यों है खास?  – किसी बैंक या सरकार के कंट्रोल में नहीं। – सिर्फ 21 मिलियन बिटकॉइन ही बनेंगे। – दुनिया में कहीं भी सेकंड्स में ट्रांसफर।

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ब्लॉकचेन एक डिजिटल रजिस्टर है, जहां हर ट्रांजैक्शन दर्ज होता है। ये पारदर्शी, सुरक्षित और छेड़छाड़-रोधी है।

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कंप्यूटर कठिन गणित हल करके ब्लॉक्स को सुरक्षित करते हैं। बदले में माइनर्स को नए बिटकॉइन मिलते हैं।

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कहा जाता है, सतोशी नाकामोतो के पास ही 11 लाख बिटकॉइन हैं। जिनकी कीमत अब 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है।