महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस दिन चंद्रमा की स्थिति और ऊर्जा का प्रवाह मनुष्य के शरीर और मन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है, जो ब्रह्मांड की अनंत ऊर्जा को दर्शाता है। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संतुलन का प्रतीक माना जाता है।

जहर पीने की कथा समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल (विष) को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था।

महाशिवरात्रि की रात को जागरण करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस रात भगवान शिव की कृपा पाने के लिए जागरण करना चाहिए।

महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक माना जाता है। यह दिन आध्यात्मिक ऊर्जा और सृजन का प्रतीक है।

महाशिवरात्रि के दिन 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा का विशेष महत्व है। ये ज्योतिर्लिंग भारत के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं और शिव भक्तों के लिए पवित्र माने जाते हैं।

महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने से मन और शरीर शुद्ध होता है। यह व्रत भक्तों को आत्मिक शांति और ऊर्जा प्रदान करता है।

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का तांडव नृत्य ब्रह्मांड के संचालन और संहार का प्रतीक माना जाता है।

शिवलिंग पर बेलपत्र और दूध चढ़ाने का विशेष महत्व है। बेलपत्र को शिव का प्रिय माना जाता है

महाशिवरात्रि के दिन चंद्रमा और नक्षत्रों की भी  स्थिति विशेष होती है