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Bhimkund Madhya Pradesh: भीमकुंड छतरपुर का रहस्यमयी कुंड

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By Prakhar Agrawal

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Bhimkund Madhya Pradesh:-भारत के अद्भुत तीर्थ स्थलों में से एक भीमकुंड, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। यह कुंड केवल धार्मिक लोगों की आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों और जिज्ञासु पर्यटकों के लिए भी एक रहस्यपूर्ण स्थान है। यहां का पानी जहां साफ और चमकदार है, वहीं इसके चमत्कारी गुणों को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं।आज के इस आर्टिकल में जानेंगे भीमकुण्ड के बारे में।

Bhimkund कहाँ है?

भीमकुंड, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है.

Bhimkund कैसे पहुंचे?

बात करें आप भीमकुण्ड कैसे पहुँच सकते है तो भीमकुण्ड पहुंचना थोड़ा कठिन है।अगर आप रेलवे के माध्यम से आ रहे है तो भीमकुण्ड का नजदीकी रेलवे स्टेशन है चतरपुर जो की भीमकुण्ड से करीब 77 किलोमीटर दूर है। वहीं नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो है जो की भीमकुण्ड से 92 किलोमीटर दुरी पर स्थित है.

Bhimkund Madhya Pradesh History:-भीमकुंड का धार्मिक और पौराणिक महत्व

भीमकुंड से जुड़े सबसे चर्चित कथाओं में से एक महाभारत के समय की है। कहा जाता है कि जब पांडव अज्ञातवास के दौरान जंगल में थे, तो द्रौपदी को प्यास लगने पर पानी की आवश्यकता हुई। इस क्षेत्र में पानी का कोई स्रोत न होने पर भीम ने अपने गदा से पहाड़ पर प्रहार किया। इस प्रहार से एक कुंड का निर्माण हुआ, जिससे पानी बहने लगा। यह पानी न केवल द्रौपदी की प्यास बुझाने के काम आया, बल्कि आज भी श्रद्धालुओं के लिए पवित्र माना जाता है। इसे भीमकुंड का नाम इसलिए मिला, क्योंकि यह भीम के प्रहार से बना।

कुछ लोग इसे नीलकुंड या नारद कुंड के नाम से भी जानते हैं। इसकी एक और कथा के अनुसार, नारद मुनि ने यहां राग और रागिनी को बचाने के लिए कदम रखा और भगवान विष्णु ने जल कुंड का रूप धारण कर लिया। इस घटना के कारण कुंड का पानी नीले रंग में तब्दील हो गया।

Bhimkund की गहराई और असामान्य घटनाएं

भीमकुंड में कई चमत्कारी और रहस्यमयी गुण हैं। यहां का पानी हमेशा साफ और पारदर्शी रहता है। वैज्ञानिक यहां की गहराई नापने की कई बार कोशिश कर चुके हैं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इससे बड़ा रहस्य यह है कि इस कुंड का तल आज तक कोई देख नहीं पाया।

यहां की एक और अनोखी बात यह है कि गर्मियों में कुंड का पानी ठंडा रहता है और सर्दियों में गर्म। ऐसा इसके आसपास मौजूद किसी भौतिक या रासायनिक क्रिया की वजह से हो सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से पहेली बनी हुई है।

जब कोई भीमकुंड के पास जाकर ताली बजाता है, तो पानी में कंपन पैदा होता है। इसकी वजह क्या है, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया।

Bhimkund Madhya Pradesh वैज्ञानिकों की अधूरी कोशिशें

वैज्ञानिकों ने बार-बार गोताखोरों के माध्यम से भीमकुंड की गहराई और पानी के स्रोत का पता लगाने की कोशिश की है। लेकिन हर बार वे असफल रहे। गोताखोरों का दावा है कि कुंड के अंदर दो छिद्र हैं। एक छिद्र से पानी अंदर आता है, तो दूसरे से बाहर निकलता है। हालांकि, इन छिद्रों तक पहुंच पाना बहुत कठिन है, क्योंकि वहां पानी का दबाव और गति बहुत तेज है।

स्थानीय लोगों का मानना है कि भीमकुंड का पानी समुद्र से जुड़ा है। माना जाता है कि जब समुद्र में सुनामी आती है, तो भीमकुंड के पानी में हलचल होती है और इसकी लहरें 10 फीट तक उठने लगती हैं।

मंदिर और आसपास का क्षेत्र

भीमकुंड के प्रवेश द्वार के पास एक भव्य मंदिर स्थित है, जहां भगवान विष्णु और लक्ष्मी की मूर्तियां हैं। इसके अलावा, राम-सीता और राधा-कृष्ण के छोटे-छोटे मंदिर भी यहां बनाए गए हैं। मंदिरों के अलावा, यहां एक गुरुकुल भी है, जहां बच्चे वेदों और धर्मग्रंथों की शिक्षा पाते हैं।

क्यों आएं भीमकुंड?

  • रहस्य और रोमांच: भीमकुंड की गहराई और पानी की अद्भुत प्रकृति।
  • धार्मिक आस्था: महाभारत और नारद मुनि की कथाएं।
  • प्राकृतिक सौंदर्य: गुफा के पत्थरों से आती सूर्य की किरणें कुंड के पानी को इंद्रधनुषी बना देती हैं।
  • चमत्कारिक गुण: माना जाता है कि यहां स्नान करने से रोग दूर हो जाते हैं।

अंत में

भीमकुंड सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति का अजूबा भी है। यहां के रहस्य न केवल श्रद्धालुओं बल्कि वैज्ञानिकों को भी आकर्षित करते हैं। इसका साफ पानी, अद्भुत धारणाएं और रहस्य इसे दुनिया के चुनिंदा अनसुलझे स्थानों में से एक बनाते हैं। अगर आप मध्य प्रदेश की यात्रा पर हों, तो भीमकुंड को अपनी सूची में जरूर शामिल करें।

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