दुनिया का पहला परमाणु हथियार एक यहूदी ने बनाया था

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By wiralwala

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क्या आपको पता है दुनिया का पहला परमाणु हथियार एक यहूदी ने बनाया था|जी हां आपने सही सुना है दुनिया का पहला परमाणु हथियार एक यहूदी ने बनाया था जिनका नाम था जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर जिनका जन्म 22अप्रैल 1904 में एक यहूदी परिवार में हुआ था|कहते है रोबर्ट ओपेनहाइमर का बचपन और युवाकाल अकेलेपन और आत्मघाती प्रवतियो से झुझता हुआ बीता पर रोबर्ट ओपेनहाइमर ने अपना संघर्ष जारी रखा|

कहते है 20 साल की उम्र में जब रोबर्ट कैंब्रिज यूनिवर्सिटी पहुंचे तो लोग कहने लगे कि रोबर्ट को स्किज़ोफ्रेनिआ है एक गंभीर मनोरोग|रोबर्ट अर्न्स्ट रुदरफोर्ड के साथ काम करना चाहते थे पर रोबर्ट शायद अर्न्स्ट रुदरफोर्ड को प्रभावित नहीं कर पाए|कैंब्रिज की पढाई खत्म करने के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ़ गटिङेन गए तो वहां हालात कुछ ऐसे बने कि उनके कक्षा के छात्रों ने अपने प्रोफेसर को एक चिट्ठी लिखी या वह रोबर्ट को ऊलजलूल सवाल पूछने से रोक दे या फिर वो कक्षा का बायकाट कर देंगे|इसी वजह से शायद उनका कोई दोस्त नहीं बन पाया और उन्होंने अपने भाई से बोला मुझे दोस्तों से ज्यादा फिजिक्स की जरुरत है|

J. Robert Oppenheimer - Nuclear Museum

इसी वजह से फिजिक्स की तरफ उनका झुकाव और भी ज्यादा बढ़ा और इसी रोबर्ट ने दुनिया का पहला परमाणु बम बनाया|अकेले रहने वाले रॉबर्ट ओपेनहाइमर पागल समझे जाने वाले रॉबर्ट ओपेनहाइमर बचपन से ही जीनियस थे लेकिन शायद कोई उनकी प्रतिभा को कोई पहचान नहीं पाया|23 साल  की उम्र में उन्होंने पीएचडी ख़तम कर ली थी|

पढाई खत्म करने के बाद जब अमेरिका वापिस पहुंचे तो तो उनको 2-2 यूनिवर्सिटी से पढ़ाने का ऑफर था|कैलिफ़ोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी और यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया दोनों जगह से ज़िद्द इतनी ज्यादा थी कि अंत में उन्होंने शेयरिंग बेसिस में दोनों यूनिवर्सिटी में पढ़ाना पढ़ा|पढ़ाते वक़्त उन्होंने तमाम छात्रों को वैज्ञानिक के रूप में तैयार किया और साथ ही साथ खुद भी एक वैज्ञानिक के तौर पे आगे बढ़ते रहे उन्होंने महत्वपूर्ण शोध कार्य किया|

रॉबर्ट ओपेनहाइमर को मैनहटन प्रोजेक्ट का डायरेक्टर बनाया गया जिसने दुनिया का पहला परमाणु बम बनाया था|कहते है रॉबर्ट ओपेनहाइमर को भगवत गीता बहुत पढ़ते थे और भगवत गीता के साथ की वजह से वो अपने आप को नैतिकता के द्वन्द से ऊपर रख पाए और परमाणु बम बनाने में सफल हो पाए|

हालाँकि जब वो मैनहटन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर बने तो लोगो के मन में ये सवाल जरूर से था की रॉबर्ट ओपेनहाइमर ही क्यों जब आज तक उनको कोई नोबेल पुरुस्कार नहीं मिला है उनको कोई अनुभव नहीं है प्रोजेक्ट का नेतत्व कर पाने का पर उन सारे सवालों का जवाब ये था की रॉबर्ट ओपेनहाइमर ही एक ऐसा वैज्ञानिक है जिसको फिजिक्स ही नहीं सारे छेत्रों का बहुत ज्ञान है|रॉबर्ट ओपेनहाइमर इसलिए क्यूंकि उनके अंदर एक गहरी तृष्णा है कुछ अलग कर पाने की कुछ बड़ा कर पाने की जीत पाने की|

16 जुलाई 1945 दुनिआ का पहला परमाणु परीक्षण होना था और जब परीक्षण हुआ तो एक विशाल रौशनी सी आई और उस अलोकिक रौशनी को देख के रॉबर्ट ओपेनहाइमर के जुबान से भगवत गीता का एक श्लोक निकला

दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता।यदि भाः सदृशी सा स्याद् भासस्तस्य महात्मनः॥१२॥कालोऽस्मि लोकक्षयकृत्प्रवृद्धोलोकान्समाहर्तुमिह प्रवृत्तः

जिसका मतलब है

आकाशमें हजार सूर्योंके एक साथ उदय होनेसे उत्पन्न जो प्रकाश हो, वह भी उस विश्वरूप परमात्माके प्रकाशके सदृश कदाचित् ही हो।

श्रीभगवान् ने कहा — मैं लोकों का नाश करने वाला प्रवृद्ध काल हूँ। इस समय, मैं इन लोकों का संहार करने में प्रवृत्त हूँ।

6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पे परमाणु बम गिराया और लांखो लोग इस से प्रभावित हुए हालांकि इसके बाद को बहुत दुःख हुआ और इसका पछतावा उनको ज़िन्दगी भर रहा|

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