Keylogger एक छोटा सा सॉफ्टवेयर कैसे आपकी ज़िन्दगी ख़राब कर सकता है.यह सॉफ्टवेयर आपके स्मार्टफोन या फिर लैपटॉप या टैबलेट में काफी आसानी से आ सकता है. इंडिया अभी साइबर क्रिमिनल्स का हब बना हुआ है इस वक्त साइबर क्राइम्स काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और keylogger एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो साइबर क्रिमिनल काफी इस्तेमाल करते है और keylogger आपकी ज़िन्दगी तबाह कर सकता है. आज के इस आर्टिकल में हम यह जानेंगे कि keylogger क्या होता है कैसे काम करता है और आप इससे कैसे बच सकते हैं.
Keylogger क्या होता है??
Keylogger एक टूल है अगर आप मैलवेयर का नाम सुनते हैं वायरस का नाम सुनते हैं इसे भी आप उसी केटेगरी में रखें क्योंकि ये एक तरह का ख़तरनाक वायरस जो के लैपटॉप मोबाइल या फिर टैबलेट में आ सकता है.Keylogger आपका डिवाइस का पूरा डाटा किसी को भी रीमोटली ट्रांसफर कर सकता है उसे आप Keylogger कह सकते हैं.
क्या-क्या डाटा ट्रांसफर कर सकता है keylogger?
ए टू ज डाटा मतलब शुरू से लेकर आखिर तक जो भी डाटा होता है यानी कि किन- किन लोगों से आप बात कर रहे हैं स्क्रीन पर क्या देख रहे हैं,आपका फ्रंट कैमरे का एक्सेस या फिर बैक कैमरे के एक्सेस, कॉल रिकॉर्डिंग किस से बातें कर रहे हैं किस से चैट कर रहे हैं आसपास आपके क्या बातें हो रही है और सब कुछ रिकॉर्ड करके साइबर क्रिमिनल्स को मिनट दर मिनट भेजते रहता है.उसमे सेट करने का ऑप्शन होता है मिनट घंटे टाइम सेट करके यह डाटा ट्रांसफर करते रहते हैं.
आपका फ्रंट कैमरा है उसे वह लगातार रिकॉर्डिंग कर सकता है बैक कैमरे से रिकॉर्डिंग कर सकता है सेल्फी क्लिक कर सकता है और सबसे खतरनाक बात यह है कि आपको इसका पता भी नहीं चलेगा आपका फोन आपकी सारी चीज रिकॉर्ड कर रहा है.
सवाल यह होता है कि आसपास की आवाज जो रिकॉर्ड होती है वह कैसे रिकॉर्ड कर सकता है तो मोबाइल में इनबिल्ट माइक्रोफोन होता है और माइक्रोफोन की इतनी रेंज होती है कि जो थोड़े दूर का जो एरिया होता है उतना कवर कर लेता है. तो अगर फोन कहीं पर रखा हुआ है और आप किसी से बातें कर रहे हैं तो साइबर क्रिमिनल्स वह भी सुन सकते हैं माइक्रोफोन के एक्सेस के जरिए.
मतलब आप यह समझ लीजिये कि उनके लिए कोई भी चीज मुश्किल नहीं है आपके फोन से निकालना. क्यूंकि आपके फोन में जो कुछ भी है वह साइबर क्रिमिनल्स के एक्सेस में जा सकता है.
इसमें बस एक ही बाधा है की यह जो डाटा है सारे फोन का वह उसे इंटरनेट के जरिए साइबर क्रिमिनल्स के पास ट्रांसफर होता है इसमें थोड़ा सा टाइम लगता है. लेकिन इन दिनों डाटा फ्री हो गया है जिससे डाटा ट्रांसफर भी काफी आसानी से किया जा सकता है और क्रिमिनल्स आपका डाटा ले लेते हैं.
Keylogger आपके फ़ोन मे कैसे आता है??
सवाल अब यह उठता है कि आपका फोन में कैसे आ सकता है. तो keylogger टूल्स ज्यादातर साइबर क्रिमिनल्स इस्तेमाल करते हैं और इन सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करने के लिए किसी खास टेक्नोलॉजी की जरूरत नहीं होती. काफी आसानी से यह सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जा सकता है.
Keylogger सॉफ्टवेयर आपके फोन या फिर लैपटॉप में बहुत आसानी से आ सकता है, ईमेल अटैचमेंट के जारी आ सकते हैं या फिर किसी भी मैसेजिंग एप के जरिए आपके फोन में आ सकते हैं. खासतौर पे APK जो हमलोग किसी थर्ड पार्टी का इनस्टॉल करते है उसके जरिये आने की सम्भावना काफी ज्यादा होती है.
साथ ही ये जब कोई अनजान वेबसाइट आप इस्तेमाल करते है और उसपे pop-up जो आता है जो आपको किसी अन्य वेबसाइट पे ले जाता है उसके जरिये भी ये वायरस आ सकता है.
Keylogger का पता कैसे लगाए??
आखिर सवाल यह है कि आपका फोन में, लैपटॉप में अगर keylogger है तो उसका पता कैसे लगाए पहली बात तो यह है कि जो हाई लेवल के keylogger होते हैं उसका पता लगाना एक तरह से असंभव होता है.अगर आपको लगता है की आपके फ़ोन मे keylogger आ चूका है तो अपने डिवाइस को फॉर्मेट कर दीजिये.
कई बार सपोर्ट के नाम पर भी साइबर क्रिमिनल्स आपको आपके फोन में Anydesk या फिर Team Viewer इनस्टॉल करवाते हैं उसके बाद वो आपको पता नहीं चलता है लेकिन रिमोटली वह आपके फोन में keylogger इंस्टॉल कर जाते हैं फिर उसको पहचान पाना या फिर उसको निकाल पाना मुश्किल हो जाता है.
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