Maidan Film Review:-अभी हाल ही में मैदान फिल्म की एक स्पेशल स्क्रीनिंग हुई जिसमें कई लोगों ने इस फिल्म की काफी तारीफ़ भी की है और फिल्म का रिव्यु भी शेयर किया है.जो रिव्यु शेयर किया है वो पूरी तरह से पॉजिटिव रिव्यु है,पॉजिटिव रिव्यु का सीधा सीधा मतलब ये है कि बड़े मियां छोटे मियां जो इसके साथ रिलीज़ होने वाली है उसके सामने मैदान कहीं न कहीं अपने आप को मजबूत करने की कोशिश कर रही है.
देखा जाये तो बड़े मियां छोटे मियां पूरी तरह से एंटरटेनमेंट मसाला फिल्म है और इस तरह के फिल्म को हमारे भारतीय दर्शक कुछ ज्यादा ही प्यार करते है.मैदान की अगर बात करे तो हम सभी को कहीं न कहीं सुपर हीरोस की कहानी अच्छी लगती है.चाहे वो बैटमैन हो,स्पाइडरमैन हो या फिर शक्तिमान हो. ऐसे ही एक अनजाने सुपर हीरो की कहानी को लेकर आ रहे है अजय देवगन बड़े परदे पर.इस आर्टिकल में जानेंगे मैदान फिल्म के रिव्यु के बारे में.
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Maidan Film Review
बात करे मैदान फिल्म की कहानी पर तो हमारे देश के इतिहास में ऐसे कई लोग रहे है जिन्होंने हमे दुनिया की नज़रों में जगह दी है एक ऐसे मुकाम पे पहुचाया है जिसकी उम्मीद किसी ने की ही नहीं थी और ऐसे ही एक शख्स थे सैय्यद अब्दुल रहीम.ये वो ही शख्स है जिन्होंने भारत को एशियाई गेम्स में फुटबॉल का पहला गोल्ड मैडल जितवाया.ये फिल्म उन्ही के हिम्मत और जज्बे पर बनी है.इस फिल्म में फुटबॉल के साथ साथ पॉलिटिक्स,रोमांच और इमोशन को काफी अच्छे से तरीके से दिखाया गया है.
Maidan Film Kahani
फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है साल 1952 से फुटबॉल के मैच को भारत के खिलाड़ी नंगे पैर खेल रहे है.किसी के पैर में चोट लगती है तो कोई दूसरे खिलाड़ी को टैकल करने में पीछे रह जाता है इसी तरह भारतीय टीम मैच हार जाती है.कलकत्ता में फेडरेशन ऑफिस में भारतीय टीम की हार का ठीकरा सैय्यद अब्दुल रहीम पे फोड़ दिया जाता है.रहीम कहते है अगर हार की ज़िम्मेदारी उनकी है तो टीम का चुनाव भी वो खुद करेंगे. इसके बाद वो निकल पड़ते है देशभर से बेहतरीन खिलाडियों का चुनाव करने के लिए कलकत्ता से लेकर सिकन्द्राबाद यहाँ तक कि केरल घूम घूम कर कर रहीम अपनी टीम तैयार करते है.
इस टीम में पीके बनेर्जी यानी चैतन्य शर्मा,चुनि गोस्वामी,अमर सिरे,जरनैल सिंह मतलब देवेन्दर गिल,तुलसीदास बलराम कई सारे बढ़िया खिलाडी को शामिल कर लेते है यहीं वो टीम है जिसको लेके रहीम एशियाई गेम्स में गोल्ड मैडल जीतना चाहते है.फेडरेशन में बैठे सुभंकर सेन गुप्ता रहीम साहब को पसंद नहीं करते और टॉप न्यूज़ पेपर के सीनियर पत्रकार रॉय चौधरी मतलब गजराव राव रहीम को फुटबॉल टीम के कोच की पोजीशन से बेदखल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते है.
इस मंजिल में ढेरों कांटे है,एक से बढ़कर एक चुनोतियाँ है और दुश्मन जब घर में बैठा हो तो मंजिल तक पहुंचना और भी मुश्किल हो जाता है.ऐसे में किस तरह सय्यद अब्दुल रहीम और उनकी फुटबाल टीम एशियाई गेम्स के 1962 के स्वर्ण पदक तक पहुंचेगी यही कुछ इस फिल्म में देखने को मिलेगा.
Acting in Maidan
बात करे मैदान फिल्म में एक्टिंग की तो अजय देवगन ने हमेशा की तरह अपना शानदार दिया है इस फिल्म में और जहाँ तक बात रही गजराव राव की तो इस फिल्म में उनका किरदार एक तरह से विलन वाला है जो उन्होंने काफी अच्छे तरीके से इस फिल्म में दिखाया है.उन्होंने अपने किरदार को इतने कमाल तरीके से पकड़ा है कि आपको हर एक सीन में उनसे नफ़रत होगी जो दिखाता है की वो सही में एक बेहतरीन एक्टर है.
खिलाडियों के रोल में चैतन्य शर्मा,अमर सिरे,देवेन्दर गिल,तुलसीदास बलराम तेजस रविशंकर,ऋषभ जोशी,मधुर मित्तल समेत सभी खिलाडियों ने काफी अच्छी एक्टिंग की है अपने खेल से हर एक सीन को वो जोश से भर देते है.परदे पर फुटबाल प्लेयर दिखने के लिए सभी ने काफी मेहनत भी की है.देखा जाए तो सारे एक्टर्स ने फिल्म में अपनी शानदार एक्टिंग की है.रहीम की पत्नी के रूप में प्रियमणी का किरदार काफी अच्छा है उन्होंने अपने छोटे से किरदार को काफी अच्छे से निभाया है.
Director Maidan
अजय देवगन की तरह डायरेक्टर अमित शर्मा ने भी साबित कर दिया की वो बधाई हो जैसे फिल्म से हँसाना और मैदान जैसे फिल्म से गर्व महसूस करवाना जानते है.
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